यूँ तो बस डूबते सूरज की हल्की सी लौ होती है,
पर लगता है के,
चाहत बाकी होगी ज़रूर कहीं पे !
मुझे धुँधला सा ही सही, पर दिखता ज़रूर है !!
पर लगता है के,
चाहत बाकी होगी ज़रूर कहीं पे !
मुझे धुँधला सा ही सही, पर दिखता ज़रूर है !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday, 10 April 2013 at 20:25
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
0 comments:
Post a Comment