चेहरे

रोज़ शहर भर के चेहरे टटोलता हूँ
कुछ ढूंढता हूँ वो मिलता क्यूँ नहीं !
यूँ तो उस दिन आँखों में छुपा लिया था
पर अब दिखता तू क्यूँ नहीं !!

0 comments: