ना तो गुलाब से कोई होंठ देखे
ना मोतीओं सी कोई हँसी
ना ही रसीले गीत लिखे
ना प्रीत की कोई धुन बजी !
पेड़ से हरे पत्ते भी यूँ झड़े, सूखे पत्तों की तरह
के जैसे हादसा हो गया हो कोई !!
हां, हादसा ही तो था !!!
ना मोतीओं सी कोई हँसी
ना ही रसीले गीत लिखे
ना प्रीत की कोई धुन बजी !
पेड़ से हरे पत्ते भी यूँ झड़े, सूखे पत्तों की तरह
के जैसे हादसा हो गया हो कोई !!
हां, हादसा ही तो था !!!
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