खिड़कियाँ भी रोशनी का सहारा लेती हैं,
मौजूदगी का एहसास कराने को !
तुझे मेरी आँखें काफ़ी हैं !!
पत्ते भी हवा का सहारा लेते हैं,
मौजूदगी का एहसास कराने को !
तुझे मेरी साँसें काफ़ी हैं !!
रहने दो, मत ही आओ
मुझे मेरे ख़याल काफ़ी हैं !
पर एक बात बताओ ज़रा, तन्हा क्यों हो,
तुझे भी तो मेरे ख़याल काफ़ी हैं !!
पत्ते भी हवा का सहारा लेते हैं,
मौजूदगी का एहसास कराने को !
तुझे मेरी साँसें काफ़ी हैं !!
रहने दो, मत ही आओ
मुझे मेरे ख़याल काफ़ी हैं !
पर एक बात बताओ ज़रा, तन्हा क्यों हो,
तुझे भी तो मेरे ख़याल काफ़ी हैं !!
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