बेंच

बहुत कुछ देखा था मैने चेहरों के बीच बनाए झरोखे में से
कभी उसकी लटों में फर-फ़राती रोशनी ही कुछ फुसफुसा जाती थी !
उसने सिर्फ़ सुना था मुझे, कभी मूड़ के देखा नहीं !

वो क्लास में फर्स्ट बेंच पर बैठती थी,
और मैं लास्ट पे !!
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जब आज सुबह सूरज, 
परदे के बीच से कभी कभी आकर मेरी नीद को snooze mode मे चला रहा था....

कुछ खास याद तो नही !! 
पर हाँ कुछ देर को लगा, मै आज भी वहीं लास्ट सीट पर तितरी बीतरी रोशनी के साथ तुझे आवाज दे रहा हूँ !! मिंजाज अब भी वो ही है तेरा...और मै भी जो का तूं उस लास्ट 'bench' पर ... 
--Gopal Dutt Joshi
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चाय की चुसकीओं के साथ साथ उस तस्सवुर को पी गया,
और भाप में महत्वकांशाओं के किले तैराने लगा हूँ !
उस झरोखे पे जैसे मैने ही परदा डाल दिया हो,
तुमने मुझे बच्पना छोड़ने की सलाह दी थी !
 

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