निशान

यूँ तो अब सिर्फ़ निशान बचे हैं दीवारों पे,
तस्वीरें को उनके रंगों के साथ उपर वाली कोठरी में रख आया था !
मेरे उजड़े हुए घर की कहानियाँ,
अब मकड़ी के बसाए हुए घर के साथ रहती हैं !
एक आईना बचा है पीछे की दीवार पे जिसमे से,
रोज़ सुबह चोरी से तुमको निहारा करता था !
अब मैं अक्सर पूछता हूँ खुद से के सामने
आईना है या तस्वीर टॅंगी है फूलों के हार वाली !
यूँ तो अब सिर्फ़ निशान बचे हैं !!

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