इक गिला है

इक गिला है गुज़ारिश के दरीचे में !
जब ख्वाहिश की हवा याद के चिल्मनो को उड़ाती है,
तो गिला नासूर बन के पुकारता है के,
मुझे अफ़सोस है जो मैने तुमसे मोहब्बत की !
ये शब्द दर्ज़ हैं मेरी हर उस कविता में
जिसमे मैने तुम्हारा अक्स ढूँढने की कोशिश की है !

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