कलेंडर

चाहतों में राहतें नहीं होतीं !
इश्क़ की वजह नहीं होती !
ठिकानों के पते नहीं होते !
समंदरों की मझधार नहीं होती !

धड़कनों की तारीख नहीं होती,
मगर कलेंडर बदलते हैं दिलों के !!

समय

समय के हुकमरानों से चाहे पूछ लेना,
मेरे सब लफ्ज़ बेलम्हा !
ज़िंदगी उधेड़ते लम्हा लम्हा !!

कोरे काग़ज़

सब इरादे एक कोरे काग़ज़ पे लिख के,
जला देना !
और राख को मुठ्ठी में भींच के रख लेना !
अपने ना होने का एहसास मिलता रहेगा लकीरों में !!

लफ्ज़

ज़िंदगी ने वक़्त तो भर दिया,
मगर मन सिर्फ़ लफ्ज़ ही भर पाते हैं !
आज इक ओर ताना-बाना बुनने जी चला,
वक़्त में से थोड़ी ज़िंदगी काट के !

शायद, थोड़ी साँसे जोड़ने !!

आवारगी

कहीं खो गया हूं मैं,
तू ढूंड ले मुझे !
पहाड़ों से बर्फ पिघले,
तो आवारगी की आग बुझे !

मैं हीर तलाश में,
कोई रांझे की बांसुरी बना दे तुझे !
इक फटफटिया सी मिल जाए बस,
तो शिद्दत वाला कोई लफ्ज़ सुझे !

खिंचती डोर

ओ पीची,
सुनो, ये जो डोर बांध रखी है,
पायल से तुमने मेरी उंगलिओं तलक,
उससे खिंचता तो रहा हूँ अब तलक !
मगर ये भी सोचो,
डोर तोड़नी होगी, पायल लौटानी होगी !
मुझे किसी नये को पहनानी होगी,
तुमको कोई नयी पहननी होगी !

ਗੱਡੀਆਂ ਵਾਲੇ

ਗੱਡੀਆਂ ਵਾਲੇਆਂ ਨੂੰ ਠਿਕਾਨੇਆਂ ਦਾ ਮੋਹ ਹੀ ਨਹੀਂ,
ਧਰਤ ਦਾ ਛਿੱਲ ਛਿੱਲ ਖੂਨ ਸੁੱਕਿਆ !
ਤੜਕੇ ਦਾ ਗਿਆ, ਓਹਦੇ ਪਰਤਨ ਦਾ ਨਾਮ ਹੀ ਨਹੀਂ,
ਸੂਰਜ ਦਾ ਤਪ ਤਪ ਮੁੜਕਾ ਡਿੱਗਿਆ !
ਤੈਨੂ ਭੇਜੇ ਸੁਨਿਹੇਆਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਹੀ ਨਹੀਂ,
ਹਵਾਵਾਂ ਦਾ ਸਿੱਲ ਸਿੱਲ ਸਾਹ ਰੁਕਿਆ !


ਰਾਤਾਂ ਹੰਝੂਆਂ ਦੇ ਬੰਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ, ਯਾਰਾ,
ਚੰਨ ਦਾ ਜਗ ਜਗ ਦਾਗ ਮਿਟਿਆ !

चांद जैसी

तू चांद जैसी मत बनना !
चांद तो सजता है लाखों के लिए,
तू कभी मत सजना किसी ओर के लिए !

मोहब्बत में मुझे बस ये इक इख्तिआर दे जाना !!

सवालिया

खामोशीओं में शब्द नहीं होते मगर शोर होता है !
आँखों में नदियाँ नहीं होती मगर बहती हैं !
लकीरों के दाँत नहीं होते मगर काटती हैं !
रास्तों के पैर नहीं होते मगर चलते हैं !

तस्वीरों से कोई सवाल नहीं पूछता,
मगर जवाब देती हैं !!
और कुछ जवाब छोड़ जाते हैं सवालिया निशाँ किसी गुज़रे हुए लम्हे पर !!

कितना आसां हो

कितना आसां हो जाता सब गर तुमने पीछे पलट के देखा होता !
कितना आसां हो जाता सब गर तुमने बाहों में भर लिया होता !

मुश्किल बस लम्हे होते हैं, ज़िंदगियाँ आसां,
मगर खो जाती हैं ज़िंदगियाँ लम्हों को आसां करने की दौड़ में !!

उमर

पता नहीं क्यों उमर गुज़ार दी,
दिन-के-बाद-रात, रात-के-बाद-दिन के चक्कर में !
और पता नहीं कब ख़तम होगी समय की जद्द-ओ-जहद मेरे साथ !!