पता नहीं क्यों उमर गुज़ार दी,
दिन-के-बाद-रात, रात-के-बाद-दिन के चक्कर में !
और पता नहीं कब ख़तम होगी समय की जद्द-ओ-जहद मेरे साथ !!
दिन-के-बाद-रात, रात-के-बाद-दिन के चक्कर में !
और पता नहीं कब ख़तम होगी समय की जद्द-ओ-जहद मेरे साथ !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 5 January 2016 at 19:39
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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