चांद जैसी

तू चांद जैसी मत बनना !
चांद तो सजता है लाखों के लिए,
तू कभी मत सजना किसी ओर के लिए !

मोहब्बत में मुझे बस ये इक इख्तिआर दे जाना !!

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