घर

रोज़ आफताब की पहली किरण के साथ
मैं खिड़कियों से पर्दे हटा हटा देखती हूँ
के कोई किरण होगी जो
तुम्हारा अक्स बन के उतरेगी घर में !
यह घर अधूरा है तुम्हारे बिना !
तुम गये हो सरहद पे किसी ओर का घर बचाने !!
किसी ओर का घर उजाड़ने...

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