किष्तों में भरपाई मुश्किल है,
कभी वस्सल का सबब बने तो अस्सल ले जाना !
रोज़ की सिसकियों से बेहतर है,
एक दिन अपने से दूर और खुद से मरासिम कर जाना !!
यह आँसुओं की उधारी यूँ तो बड़ी महँगी है !!!
कभी वस्सल का सबब बने तो अस्सल ले जाना !
रोज़ की सिसकियों से बेहतर है,
एक दिन अपने से दूर और खुद से मरासिम कर जाना !!
यह आँसुओं की उधारी यूँ तो बड़ी महँगी है !!!
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