present

“आज कल के ज़माने में हर लड़की का एक past होता है” ये तो सब ने बताया था...
“present भी होता है” ये किसी ने नही बताया…

Stairs


I lived my entire life one step a time. Now when I look back, I have come a long way, up many stairs.

निशाँ

एक-आध सांस रह जाती है पीछे खुश्क गले में आहों के बीच,
लहरें चुराती रहती हैं समय मेरे हाथ से, पैरों पे लगी मिट्टी को जोड़ जोड़ के !
और एक-आध लम्हा रह जाता है पीछे गीली रेत में सीपिओं के बीच,
जिसे मैं जीता रहता हूं बार बार, जीने का मकसद तोड़ तोड़ के !

यारा, जब मैं रेत पे पैरों के निशाँ बना रहा होता हूं,
और समंदर मिटा रहा होता है !!

कहानी

शब्दों की लकीरों के बीच जो खाली सफ़ेद जगह होती है,
मेरी कहानी वहां छुपी अनकही रह जाती है !
कभी जबान जवाब दे जाती है,
तो कभी कलम सवाल बन रह जाती है !

और ज़िन्दगी पलकों किनारे इंतज़ार बन बह जाती है !!

रिश्ता

ऩफा तो दोनों का ही ना हुआ उस सौदे में,
उसे कुछ ब्याज़ बच गया था, और मुझे कुछ असल !

अब लिख बैठे हैं कहानी अपने अपने अंदाज़ से,
उसे कोई गीत मिल गया, और मुझे कोई ग़ज़ल !!

कफ़न

अपने जिस्म की ही कतरनें जोड़ जोड़ जैसे,
सिल रहा हो कफ़न कोई !

वो बाहर से यूं मुस्कुराता है जैसे,
अंदर दफ़न कर लिया हो कोई !!

मेरे जैसा

शिक्स्तें बहुत मिलीं तुझे,
और वैसा ही सब मिला जैसे तूने दी थी !

मोहब्बतें बहुत मिलीं मुझे,
पर वैसा कुछ भी ना मिला जैसे मैंने की थी !!

कांधा

चाहे बतौर-ए-दुआ माँगा था,
अपना सब देके तेरा होने को !!
प्यार हमेशा बड़ी ज़द्द-ओ-ज़हद के बाद मिलते हैं !

मैने बस एक ही कांधा माँगा था,
अपना सर रख के रोने को !
चार तो किस्मत वालों को मिलते हैं !!

गैरत

यारा, आज रो भी दो तो आँखों को कोई हैरत ना होगी
आईना भी कसेगा तंज़ तो पलकों में
कोई गैरत ना होगी !

बजाह

सब वही मेरा अपना,
कांधा, उसके आंसू, वही आहें !
बस दो चीज़ें पराई,
एक वो और एक बजाहें !

रफ़्तार

मैने छोड़ा ना था कभी, बस छूट गयी थी,
रफ़्तार बहुत थी मेरे यार में !
मुझे तो एक ट्रेन हरा गयी थी,
वो जल्दी में थी और मैं प्यार में !!

जन्म

होठों की लपटों में छुपा लो !
जल जाए बदन पर रूह को बचा लो !
सात जन्म नहीं चाहिए,
मेरी एक ही है ज़िंदगी, वो बना दो !!

किस्मत

जो कोई ऐसा मिल जाए जो सब कुछ हार जाए अपना तुमपे,
वो किस्मत होती है !
किस्मत का ना होना है किसी ऐसे का ना मिलना,
ज़िंदगी भर !
कोई ऐसा मिले पर अपना ना बन पाए,
बस बदक़िस्मती होती है !


वो मुझे कह रहा था गयी रात,
मैं सब कुछ पहेले ही हार आया हूं,
बस अपना बना लो मुझे ! थोड़ा सा !!

रिश्ते

इनमे जो बची मोहब्बत ही नहीं,
तो रिश्तों का बोझ क्यों कर सहुं !
तुझसे तो कुछ शिकायत भी नहीं,
तुझे अपना क्यों कर कहूं !!

लम्हे

ये जो लम्हे गुज़र जाएंगे,
तू समेट लिया कर ना !
अरे आशिक़ है तू,
आशिक़ी किया कर ना !!

कलियां

मैने इकठ्ठी की थीं कलियां,
के एक दिन फूल बन खिलेंगे सब !
वो मुरझाई सूखी पड़ी हैं डायरी के पन्नों में,
वस्सल वाले शब्दों के साथ !


मैने लिखना छोड़ दिया था तब से,
के डायरी में हिज़र जैसे शब्द आए जब से !!

दुआ

इक ओर पन्ना किताब-ए-ज़िंदगी से फाड़ रहा हूं,
सब लिखते हैं,
मैं लिखे को मिटाए जा रहा हूं !
इक ख्वाब नींद के बगैर सजा रहा हूं,
सबको मिलती है रात,
मैं दिनों में सोने जा रहा हूं !
इक ओर दुआ, बद्दुआओं के ढेर से समेट रहा हूं,
सब छूट जाता हैं यहीं,
मैं अपना सब उसके पास लिए जा रहा हूं !!


यारा, मोहब्बत को वजूद का हिस्सा मत बनने देना,
जाती है तो ज़िंदगी सीधी गली से चौरस्ता बन जाती है !!