इनमे जो बची मोहब्बत ही नहीं,
तो रिश्तों का बोझ क्यों कर सहुं !
तुझसे तो कुछ शिकायत भी नहीं,
तुझे अपना क्यों कर कहूं !!
तो रिश्तों का बोझ क्यों कर सहुं !
तुझसे तो कुछ शिकायत भी नहीं,
तुझे अपना क्यों कर कहूं !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday, 7 January 2015 at 22:21
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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