यारा, आज रो भी दो तो आँखों को कोई हैरत ना होगी
आईना भी कसेगा तंज़ तो पलकों में कोई गैरत ना होगी !
आईना भी कसेगा तंज़ तो पलकों में कोई गैरत ना होगी !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday, 14 January 2015 at 21:05
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
0 comments:
Post a Comment