यकीं

यकीं मानिए मुझे हैरत होती है हर बार जब मेरी कलम से अल्फ़ाज़ निकल के कुछ अर्थपूरन साकार कर पाते हैं| हैरत इस लिए के 30 पतझड़ गुज़रने के बाद भी जिसे प्रेम नहीं मिला वो प्रेम का दर्शन लिखने से नहीं कतराता| शायद विडंबना इसी की परिभाषा है…
बहरहाल बालकनी के उस तरफ बारिश है और इस तरफ मैं प्यासा हूं,
आज कुछ रंगा पानी भी काम आ जाएगा शायद कलम के साथ साथ…

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