सही ये है के मोहब्बत का,
उस ओर का छोर नहीं होता !
तुम किस राह से पहुंची वहाँ ?
उस ओर का छोर नहीं होता !
तुम किस राह से पहुंची वहाँ ?
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 17 March 2015 at 20:10
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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