खोज

खिड़कीओं से घूँघट जो उठा,
दिन ने रोशनी पाई, रात ने अंधेरा खोया !
मैने तुम्हे पा कर, अपना अस्तित्व खोया,
मुझे ना पा के, तुमने क्या खोया क्या पाया !
बता दो कुछ पाने को गर बचा है बाकी,
अब जो मैने तुम्हे भी खोया ?

मैं कोशिश में हूं,
इस कहानी के अंत को पाने की…
शुरुआत, मैं खो चुका हूं !!

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