जाने कितने स्याह धब्बे पड़े होंगे,
कोरे काग़ज़ों पे, छींटे जो उड़े कतरा कतरा !
मगर ये दिल वैसे का वैसे है !
बताओ डायरी की इस जिल्द से उस जिल्द के दरमियाँ,
क्या पाया तुमने ?
कोरे काग़ज़ों पे, छींटे जो उड़े कतरा कतरा !
मगर ये दिल वैसे का वैसे है !
बताओ डायरी की इस जिल्द से उस जिल्द के दरमियाँ,
क्या पाया तुमने ?
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