वो शिकायत करता है रोज़ के,
मैं अब रिश्ते नहीं निभाता !
किस्सा यूं है, यारा, के अब मैं,
खुद के साथ भी वक़्त नहीं बिताता !!
मैं अब रिश्ते नहीं निभाता !
किस्सा यूं है, यारा, के अब मैं,
खुद के साथ भी वक़्त नहीं बिताता !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Thursday, 26 March 2015 at 06:50
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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