सुनो ना,
अपनी तस्वीर में रख लो मेरा भी कुछ अक्स !
तुम्हारी तन्हाई का सबब भी हूं, अंजाम भी !!
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संवारना मत अपनी ज़ूलफें, जब मिलने आओ मुझसे,
मेरी अठखेलिओं के लिए वही शबनम भरी शाम ले आना !
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अपनी तस्वीर में रख लो मेरा भी कुछ अक्स !
तुम्हारी तन्हाई का सबब भी हूं, अंजाम भी !!
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संवारना मत अपनी ज़ूलफें, जब मिलने आओ मुझसे,
मेरी अठखेलिओं के लिए वही शबनम भरी शाम ले आना !
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