इशरत-ए-अश्क है आंख से बह जाना,
कभी छुप जाना तो कभी सब कह जाना !
कभी छुप जाना तो कभी सब कह जाना !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 9 May 2015 at 08:56
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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