उंगलियां

बहुत बार गुम होने के बाद,
मैं पहुंचा हूं यहां तलक !
उंगलियां कब पकड़ी थीं, याद नहीं,
कदम सब अपने ही हैं,
देखते हैं, जाऊंगा कहां तलक !!

0 comments: