मेरे इश्क़ के किनारे नहीं, बस रवानी है,
मेरे दिल को निचोड़ा बहुत, कभी अपने दिल को डूबा भी जाना !
नियत की बात नहीं, तकदीरों में बेईमानी है,
बहुत से क़र्ज़ लिए हैं तुमने, कुछ क़र्ज़ चुका भी जाना !
मेरे दिल को निचोड़ा बहुत, कभी अपने दिल को डूबा भी जाना !
नियत की बात नहीं, तकदीरों में बेईमानी है,
बहुत से क़र्ज़ लिए हैं तुमने, कुछ क़र्ज़ चुका भी जाना !
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