भूलना मत उसको, कितना भी हरजाई हो !
किस्से नहीं बनते मोहब्बतों के,
गर थोड़ी सी बेवफ़ाई ना हो !!
किस्से नहीं बनते मोहब्बतों के,
गर थोड़ी सी बेवफ़ाई ना हो !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Friday, 9 October 2015 at 07:16
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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