देखो के ज़िंदगी में शिकवा कोई नहीं अब,
मगर सोचो के तुम्हारी यादों में जागने वाला कोई नहीं अब !
बताओ के आओगे भी तो क्या पाओगे अब !!
मगर सोचो के तुम्हारी यादों में जागने वाला कोई नहीं अब !
बताओ के आओगे भी तो क्या पाओगे अब !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Monday, 13 July 2015 at 07:48
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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