खूबसूरत

किसी की सूरत "खूबसूरत" नहीं होती, ना ही किसी की नीली आंखें,
ना होंठों पे तिन, ना मेहंदी लगाए कोई बाहें !
किसी की शायराना ज़ुबान भी नहीं, ना ही लहराती ज़ूलफें,
ना आंखों के इशारे, ना बचकानी मुस्कुराहटें !
ना डूबते सूरज की लाली, ना ही शाम की तेज़ हवाएं,
ना पंछीओं का शोर, ना समंदर की लहरें !


तुम्हे पता है “खूबसूरत” क्या होता है !
हम दोनो का साथ साथ खड़े होना,
एक पत्थर पे जिसपे लहरें टकराती रहें देर तलक समां बांधे !!

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