कभी मैने मुंह मोड़ लिया,
तो कभी उसने नज़रों को चुरा लिया !
मंज़िलों के ख्वाब नहीं बचे थे,
तो रातों को रहगुज़र बना दिया !!
तो कभी उसने नज़रों को चुरा लिया !
मंज़िलों के ख्वाब नहीं बचे थे,
तो रातों को रहगुज़र बना दिया !!
the pursuit of reason... the fight with self...
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