ऐसी ही किसी भीगी रात में,
किसी अंजान मोड़ पे,
फिर से छोड़ जाना मुझे !
शायद गुम हो के फिर पा जाऊं तुम्हे !!
किसी अंजान मोड़ पे,
फिर से छोड़ जाना मुझे !
शायद गुम हो के फिर पा जाऊं तुम्हे !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 26 July 2015 at 09:49
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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