होठों की लपटों में छुपा लो !
जल जाए बदन पर रूह को बचा लो !
सात जन्म नहीं चाहिए,
मेरी एक ही है ज़िंदगी, वो बना दो !!
जल जाए बदन पर रूह को बचा लो !
सात जन्म नहीं चाहिए,
मेरी एक ही है ज़िंदगी, वो बना दो !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday 14 January 2015 at 21:03
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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