30 something

In a few days I will be on wrong side of 30. While there is no dearth of sage advices in the form of “30 things to do before you turn 30”s and I believe I have read almost all of those, thanks to diverse friend list on facebook with exaggerated sense of their own identity. The only problem is you cannot complete the bucket list when there is only a month to go and when you are younger you really don’t consider age threshold for what you are doing.

Unbelievably, almost all those advices focus around being married, not being married, falling in love, traveling, finding right job, friends, education, health etc. It’s unbelievable because these are all the things which are anyway part of any regular person’s life be it before thirty or after thirty.

I, for my part, had a life which only few could boast of. A lot of travel, lot of friends, a remarkable education, fulfilling jobs, nurtured my hobbies, have fallen in love, have been loved etc. etc. But the catch is, it is still incomplete; it always will be. It’s amazing, if you see, life is like a bottomless glass; it never spills as much as you try to fill it. There is always something incomplete or something new to be done.

Every clichéd story that you ever hear in your lifetime has only one summary: “To be happy find someone or something you love and be with one (do that thing) for the rest of your life”. The only problem is being ready. Being ready for the moment when it arrives!

The thing I really seem to be saying is that no one really can plan their lives; which is very trivial thing to say but escapes almost every one of us. We can only ponder about past and future in the form of nostalgia and dreams respectively. But the only thing I have realized till now is life is in present. Always has been!

सीढ़िआं

ठंडी रातों में वो,
सीढ़िओं पे महफिलें सज़ा लेता था,
कुछ उपर जाते जाते शामिल हो जाते,
कुछ नीचे उतरते शामिल हो जाते !

बढ़े कोहरे जब सब,
अपने अपने संसार लौट जाते,
वो उन्हीं सीढ़िओं से,
अपने संसार का असबाब समेट लेता,
फिर अगली रात सजाने के लिए !!

नदी के मुहानों पे

सब ख्वाबों में रंज भर गया,
मेरी नींद थी, उसको लाश कर गया !
कोरे काग़ज़ों में स्याहियां भर गया,
सुनहरी धूप सी थी, जिसको चाँदनी कर गया !
खटास यादों से ज़्यादा एहसासों में भर गया,
शहद में उंगली डाली, तो कड़वा कर गया !


वो तो, यारा, किनारों से ऊब गया,
मगर देखो, नदी के मुहानों पे समंदर डूब गया !!

startup waale

ek zamana tha jab gali ke laundo ka ishq doctors/engineers/MBAs uda le jaate the...
aaj kal doctors/engineers/MBAs ka ishq startup waale uda le jate hain...

छूना

तेरी नींदों को मेरी क़रवटों ने छू दिया था,
तकदीरें बदल गयीं !

तेरे होंठों के तिन को मेरी हथेलिओं ने छू दिया था,
लकीरें बदल गयीं !!

साँसें

साँसें धीरे धीरे लेने की आदत डाल लो,
बची साँसों को बचा के ही रखना !

मरते वक़्त किसी ग़रीब के काम आ जाएंगी,
गर ज़िंदगी कुछ बाकी रही तो खुद के काम आ जाएंगी!

until you are proud

Don't stop until you are proud

weight by weight you break (sweat)
brick by brick you build (muscle)
inch by inch you move (ahead)

रेत का टीला

ज़िंदगी के पत्थर पे लहरों की चोट !
और सब यादें, रेत का टीला, बनते बिखरते...

तबाही

सारी दोस्तियाँ मॅगी की प्लेट !
सारी मोहब्बतें चाए की प्याली !
सारी तबाही 'on the rocks' ग्लास !

कम्मांडो

इतनी मुश्किलें सीधे से इश्क़ में,
कड़वी घूँट भी लगती हैं मीठी...
.
याद आता है इक यार का कहना, "मुश्किल वक़्त तो कम्मांडो सख़्त"
यहाँ, मगर, ज़िंदगी खुद माँग रही है शहादत

मामूली

मोहब्बत कितनी मामूली,
कुछ भूल जाते हैं, कुछ याद नहीं करते...

जेबें

आज जेबें फाड़ दी मैने सब,
इनका कोई मकसद नहीं बचा था !
मेरा जो था सब तुम ले गये,
ये जेबें भी ले जाओ !

बेमानी हैं अब मेरे लिए !!
पता मुझे पहले से था, एहसास अब हुआ है !!

पीछे

सब जी ही जाते हैं अपनी अपनी ज़िंदगियाँ !
मगर कुछ पीछे छोड़ जाते हैं इक अधूरापन,
वो जो ढूंढ नहीं पाते रोने के लिए कांधा !!

मीआद

वो उस दिन सब प्यार खो बैठी - उसके किए भी, उससे किए भी ! भीड़ में किसी के मोबाइल फ़ोन पे धुन बज रही थी - "तेरा मुझसे है पहेले का नाता कोई" | मधम होती हुई; जैसे बॅकग्राउंड म्यूज़िक हो कहानी की समापती का |
जाते जाते फिर दोनो पलटे नहीं... शायद किसी डर से !
अजीब है ना कुछ कहानियां कितनी छोटी होती हैं शब्दों में, मगर मीआद उम्र भर की !

तीखी मिर्ची

और हो जाती है देरी काफ़ी, खड़े खड़े,
तुम्हे रोकने को शब्द फिर भी नहीं मिलते !
थक जाती हैं आखें इंतज़ार में,
के कोई पलट आएगा कभी भी !

यूं तो मिलती नहीं, मगर जब भी मिलती है ज़िंदगी तो ऐसे,
जैसे तीखी मिर्ची पे चढ़ा हो सोने का वरक !!

पीठ

समंदर को ताकते रहने से मिलती हैं सिर्फ़ तन्हाई,
ज़िंदगी चाहिए तो समंदर की तरफ पीठ रखना !

समंदर की तहों में रहते हैं सीप, निशानियाँ नहीं !!

Being ready

Every clichéd story that you ever hear in your lifetime has only one summary: “To be happy find someone or something you love and be with one (do that thing) for the rest of your life”.
The only problem is being ready. Being ready for the moment when it arrives!

तैयारी

सबसे बुरा इंतज़ार होता है खुद के तैयार होने का इंतज़ार| किसी को कुछ पाने के लिए तैयार होना, किसी से कुछ सुनने के लिए तैयार होना, कुछ करने के लिए तैयार होना, कुछ पाने के लिए तैयार होना !
आज भी हम दोनो तैयारी में जुटे हैं| मैं कहने की तैयारी में, वो सुनने की तैयारी में !

सीख

किसी की तन्हाई का सबब बन जाना और महफिलें सजाना,
सिखा जाना मुझे भी !
किसी की नींदे उड़ा देना और नींद में करवटें ना लेना,
सिखा जाना मुझे भी !
किसी को इंतज़ार दे जाना और पीछे पलट के ना देखना,
सिखा जाना मुझे भी !


वो सब सिखा जाना,
जो तुमने खुद ही सीख लिया मुझसे दूर रहने के लिए !!

स्टेंप पेपर

मेरे होठों पे तेरे माथे की लकीरों की मोहर सी...
हस्ताक्षर तेरी उंगलीओं के...
ज़िंदगी गिरवी स्टेंप पेपर पे तेरे नाम !

कला

किसी की तन्हाई का सबब बन जाना,
मुझे भी सिखा जाना !
या सिखा जाना,
ज़िंदा रहने की वो कला जो तुम्हारे बिना निभेगी !!