कम्मांडो

इतनी मुश्किलें सीधे से इश्क़ में,
कड़वी घूँट भी लगती हैं मीठी...
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याद आता है इक यार का कहना, "मुश्किल वक़्त तो कम्मांडो सख़्त"
यहाँ, मगर, ज़िंदगी खुद माँग रही है शहादत

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