ज़िंदगी के पत्थर पे लहरों की चोट !
और सब यादें, रेत का टीला, बनते बिखरते...
और सब यादें, रेत का टीला, बनते बिखरते...
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Monday, 14 December 2015 at 17:44
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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