पीछे

सब जी ही जाते हैं अपनी अपनी ज़िंदगियाँ !
मगर कुछ पीछे छोड़ जाते हैं इक अधूरापन,
वो जो ढूंढ नहीं पाते रोने के लिए कांधा !!

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