ख़ुदग़र्ज़ी

तुमसे नज़रें चुराती हूं,
ये सोच, के थोड़ा दर्द कम कर लूं !
थोड़ा सा तो इंतज़ार ओर कर ए ज़िंदगी,
मैं थोड़ी खुशी का इंतज़ाम कर लूं !!

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