तुम निकालो अपनी सूरमे-दानी से घटा,
मैं भी जेबें टटोलता हूं अपनी !
मेरे रुमाल में तुम्हारे हिस्से की बरसात छुपी थी,
आज निचोड़ के ज़रा बिन-मौसम बरसात का लेते हैं मज़ा !!
मैं भी जेबें टटोलता हूं अपनी !
मेरे रुमाल में तुम्हारे हिस्से की बरसात छुपी थी,
आज निचोड़ के ज़रा बिन-मौसम बरसात का लेते हैं मज़ा !!
0 comments:
Post a Comment