दरिया सी रफ़्तार तेरी, समंदर सी गहराई मेरी,
यूं तो जानता हूं दोनो हैं जुदा,
बस आदत सी डालनी बाकी है के तू नहीं मेरी !!
यूं तो जानता हूं दोनो हैं जुदा,
बस आदत सी डालनी बाकी है के तू नहीं मेरी !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday 22 July 2015 at 07:22
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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