हज़ूम की जात नहीं होती,
बस मनसूबे होते हैं !
शख्स की पहचान नहीं होती,
बस ख्वाब होते हैं !
रेहाई की तलाश में सब, अपनी ही क़ैद से !!
बस मनसूबे होते हैं !
शख्स की पहचान नहीं होती,
बस ख्वाब होते हैं !
रेहाई की तलाश में सब, अपनी ही क़ैद से !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 13 September 2015 at 10:43
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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