तुम तो रुखसार पे हथेलिओं से हमदर्दी दे जाते हो,
और पीछे छोड़ जाते हो इक गले लगाने की चाह !
सोचो, लोगों में फैल जाती है अपने मिलने की अफवाह !!
और पीछे छोड़ जाते हो इक गले लगाने की चाह !
सोचो, लोगों में फैल जाती है अपने मिलने की अफवाह !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 27 September 2015 at 12:56
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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