कोई चाहता है सिर्फ़ तुम्हारा साथ,
किसी को काफ़ी नहीं पूरी की पूरी तुम !
समंदर उछल पड़ता है मुठ्ठी भर चांदनी से,
आसमान खामोश सा पूरा चांद पा के भी !!
किसी को काफ़ी नहीं पूरी की पूरी तुम !
समंदर उछल पड़ता है मुठ्ठी भर चांदनी से,
आसमान खामोश सा पूरा चांद पा के भी !!
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