कोई भी नहीं है इस चार-दीवारी में,
जो सवाल करता हो !
खामोशियाँ फिर भी जवाब दे जाती हैं अब !
टीस, तन्हा, मगर चाह बंटने की !!
जो सवाल करता हो !
खामोशियाँ फिर भी जवाब दे जाती हैं अब !
टीस, तन्हा, मगर चाह बंटने की !!
ये कहानी बस इतनी सी !
बहरहाल कई कहानिओं की भूमिका है मेरे पास, मगर अंत नहीं !!
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