तेरी नींदों को मेरी क़रवटों ने छू दिया था,
तकदीरें बदल गयीं !
तेरे होंठों के तिन को मेरी हथेलिओं ने छू दिया था,
लकीरें बदल गयीं !!
तकदीरें बदल गयीं !
तेरे होंठों के तिन को मेरी हथेलिओं ने छू दिया था,
लकीरें बदल गयीं !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday 23 December 2015 at 20:33
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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