सबको एक पत्थर चाहिए होता है पूजा करने के लिए,
मैने भी रखा है इक पत्थर सीने में,
जिसमे से कटाव होता रहता है दर्द का,
जो एक प्रेम नाम की नदी अपने में बहा ले जाती है,
और घोल देती है सब विछोड़े नाम के समंदर में !
मैने भी रखा है इक पत्थर सीने में,
जिसमे से कटाव होता रहता है दर्द का,
जो एक प्रेम नाम की नदी अपने में बहा ले जाती है,
और घोल देती है सब विछोड़े नाम के समंदर में !
इस समंदर की गहराई नापने जाओगे तो डूब जाओगे, यारा !!
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