तुम्हारी फुलकारी के पक्के रंग,
भी फीके पड़ गये होंगे अब तक !
वक़्त की फुहारों में मरहम हो ना हो,
बदलाव ज़रूर होता है !!
भी फीके पड़ गये होंगे अब तक !
वक़्त की फुहारों में मरहम हो ना हो,
बदलाव ज़रूर होता है !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Thursday, 2 April 2015 at 21:42
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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