तुम मिलोगी भी, तो यक़ीनन फिर विछुड़ जाओगे !
ये ज़िंदगी फिलहाल इस कशमकश से बंधी है,
कोई मिल गया था, या कोई खो गया है !
ये ज़िंदगी फिलहाल इस कशमकश से बंधी है,
कोई मिल गया था, या कोई खो गया है !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 18 April 2015 at 09:20
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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