ये मध्यांतर है,
यहां कहानी तोड़ देती है अपनी रफ़्तार !
आभास होता है मझधार का !
और अस्तित्व होता है सिर्फ़ इंतज़ार का !!
यहां कहानी तोड़ देती है अपनी रफ़्तार !
आभास होता है मझधार का !
और अस्तित्व होता है सिर्फ़ इंतज़ार का !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 5 April 2015 at 20:21
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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