रूई के गुबारे से दिखने वाले बादलों को गौर से देखना,
सैलाब दिखेगा तुम्हें !
मेरा खून गरम ना सही, मेरी आखों में ज़िद देखना,
पंजाब दिखेगा तुम्हें !!
सैलाब दिखेगा तुम्हें !
मेरा खून गरम ना सही, मेरी आखों में ज़िद देखना,
पंजाब दिखेगा तुम्हें !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 25 April 2015 at 09:16
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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