मेरी अदरक के स्वाद वाली चाए में,
तू शहद वाली अपनी उंगली घुमा दे !
इतना काफ़ी है इस लम्हे के लिए के शाम पहेले से करारी है !!
तू शहद वाली अपनी उंगली घुमा दे !
इतना काफ़ी है इस लम्हे के लिए के शाम पहेले से करारी है !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 4 April 2015 at 19:12
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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