पत्थर ने समा रखा है मोम अपने अंदर,
पिघलता है पर टूटता नहीं !
उसे चिंता है बेवफा को सेंक लग जाने की,
वरना वो जलने से डरता नहीं !!
पिघलता है पर टूटता नहीं !
उसे चिंता है बेवफा को सेंक लग जाने की,
वरना वो जलने से डरता नहीं !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday 27 September 2015 at 12:57
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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