चाशनी

मेरी उंगलिओं पे चाशनी लगी है,
जब से गुज़री हैं,
जलेबी जैसे तुम्हारी ज़ुल्फो के सिरों से !


ज़िंदगी में मीठास की कमी लगे तो,
थोड़ी ले जाना मुझसे !
यारा, सब तुम्हारी ही उधारी है !!

0 comments: